Friday, June 13, 2008

बाज़ आओ रे दिलजलों...ज़िन्दगी बहुत छोटी है

कभी रवीश को लताडेंगे,कभी अविनाश को प्रताडेंगे और कभी कहीं और अपनी भड़ासनिकालेंगे.यह सब भी छदम भेस धर कर .आखिर मिलना जाना क्या है इस सब से.छोटी सी जिनगी हे रे.कायकू सनकता एक दूसरे पर.माँ भारती की सेवा में लगा तुम सब लोग.किसी ने कुछ लिखा तो उस पर टेड़ा - मेड़ा कमेंट करता.क्या होने का इससे.क्या बोला ? मैं भी छदम !हाँ रे मैं भी छदम ..पर किसी का दिल दुखाने के वास्ते नई रे बाबा.अच्छा अच्छा लिखने का...दुनिया कू बदल सकते तुम लोग ..ये सरकार...ये सरकारी मुलाजिम ..कोई नई बदलने का तस्वीर को.तुम सब लोग कितना शाणा (शातिर नई रे अच्छा बच्चा जैसा शाणा)कोई मुजिक सुना रेला...युनुस काम छोड़ के तुमको गाना सुनातारवीश टैम निकाल के नई नई प्रोबलेम को उठाता (तुम लोग उसको पटकता)झगड़ने का नई रे...बाबा जाता. सलामवालेकुम....जय रामजी की.